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यह मिट्टी के घड़ों और गेड़ का मिश्रित स्वरूप है। जिसका उपयोग सिंचाई तकनीक के रूप में उपयोग किया जाता है। गेड़ का उपयोग पारंपरिक रूप में कुँए से पानी निकालने के लिए किया जाता था, लेकिन जंगल में उपयोग में आने वाले गेड़ की बनावट इस प्रकार की है की वे गेड़ से भिन्नता दर्शाते है। क्या आपको पता है जंगल में उपयोग में आने वाले भूमिगत घड़े गेड़ के समान दिखने के बावजूद भी भिन्न क्यों है?
इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है। जंगल जैसी विशाल जगह में सभी पौधों को हर दिन पानी पिलाना कोई आसान काम नहीं है। हमारे पर्यावरण प्रेमी स्वयंसेवक ने जंगल में पौधों की सिंचाई के लिए गेड़ लगाने का सुझाव दिया, गेड़ का प्रयोग जंगल में किया गया लेकिन इसकी पानी के तेजी से रिसाव के कारण ये कारगर साबित नहीं हुए। शायद आपको पता हो आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। कुछ ऐसा ही आविष्कार हमारे पर्यावरण प्रेमी स्वयंसेवक ने किया, उन्होंने आगे रह कर गेड़ की संरचना में बदलाव करवाया, बदले हुए गेड़ में पानी का रिसाव धीरे-धीरे होने लगा जिससे की जंगल के पौधों को लगभग 7-8 दिन तक पानी उपलब्ध हो सके।